aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bas-bas"
आती है बात बात मुझे बार बार यादकहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में
वा'दा क्यूँ बार बार करते होख़ुद को बे-ए'तिबार करते हो
करो बातें हटाओ आइना बस बन चुके गेसूइन्हीं झगड़ों ही में उस दिन भी कितनी रात आई थी
आप करते हैं बार बार नहींहम को हाँ का भी ए'तिबार नहीं
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चलेक़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
कितने बन-बास लिए फिर भी तिरे साथ रहेहम ने सोचा ही नहीं तुझ से जुदा हो जाना
क्यूँ चमक उठती है बिजली बार बारऐ सितमगर ले न अंगड़ाई बहुत
सहरा से बार बार वतन कौन जाएगाक्यूँ ऐ जुनूँ यहीं न उठा लाऊँ घर को मैं
कब बन-बास कटे इस शहर के लोगों काक़ुफ़्ल खुलें कब जाने बंद मकानों के
दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वालेमैं ने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
सूरत न यूँ दिखाए उन्हें बार बार चाँदपैदा करे हसीनों में कुछ ए'तिबार चाँद
ख़ुदा करे कि ये दिन बार बार आता रहेऔर अपने साथ ख़ुशी का ख़ज़ाना लाता रहे
देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बारजब तक शराब आई कई दौर हो गए
आइने का सामना अच्छा नहीं है बार बारएक दिन अपनी ही आँखों में खटक सकता हूँ मैं
पान बन बन के मिरी जान कहाँ जाते हैंये मिरे क़त्ल के सामान कहाँ जाते हैं
खिड़की तो 'शाज़' बंद मैं करता हूँ बार बारलेकिन हवा-ए-शौक़ कि ज़िद पर अड़ी रहे
क्यूँ हाथ दिल से लगाते हो बार बार अपनाक्या दिल में अब भी कोई बे-नज़ीर रहता है
'ग़ालिब' न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर
तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बारतेरा था सात दिन का शौक़ मेरी है उम्र भर की सैर
आती है याद सुब्ह-ए-मसर्रत की बार बारख़ुर्शीद आते आते उसे कल उठा तो ला
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