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शेर
बे-कसी के दर्द ने लौ दी जल उट्ठा इक चराग़
रफ़्ता रफ़्ता उस से फिर सारा जहाँ रौशन हुआ
सईदुल ज़फर चुग़ताई
शेर
इज्तिबा रिज़वी
शेर
अबस दिल बे-कसी पे अपनी अपनी हर वक़्त रोता है
न कर ग़म ऐ दिवाने इश्क़ में ऐसा ही होता है