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शेर
कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल
वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए
बहादुर शाह ज़फ़र
शेर
वो अक्सर दिन में बच्चों को सुला देती है इस डर से
गली में फिर खिलौने बेचने वाला न आ जाए
मोहसिन नक़वी
शेर
हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है
हम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है
बशीर बद्र
शेर
उस के हाथ में ग़ुब्बारे थे फिर भी बच्चा गुम-सुम था
वो ग़ुब्बारे बेच रहा हो ऐसा भी हो सकता है
सय्यद सरोश आसिफ़
शेर
हुआ है चार सज्दों पर ये दावा ज़ाहिदो तुम को
ख़ुदा ने क्या तुम्हारे हाथ जन्नत बेच डाली है
दाग़ देहलवी
शेर
चाहत के बदले में हम बेच दें अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का गाहक कोई हमें अपनाए तो
अंदलीब शादानी
शेर
ज़िया ज़मीर
शेर
नशेमन ही के लुट जाने का ग़म होता तो क्या ग़म था
यहाँ तो बेचने वाले ने गुलशन बेच डाला है
अली अहमद जलीली
शेर
ज़मीर बेचने वाले वो तेरा सौदा-गर
ज़मीर ही नहीं ज़ात ओ सिफ़ात ले के गया
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
शेर
जेब ख़ाली है 'अदम' मय क़र्ज़ पर मिलती नहीं
एक दो बोतल पे दीवाँ बेचने वाला हूँ मैं