aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bhe.diye"
आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुलाभेड़ीए पढ़ते नहीं हैं फ़ल्सफ़ा
भेड़िये और इश्तिराक-शुदाबीच में इक हिरन हलाक-शुदा
हाए वो वक़्त कि जब बे-पिए मद-होशी थीहाए ये वक़्त कि अब पी के भी मख़्मूर नहीं
बे-पिए शैख़ फ़रिश्ता था मगरपी के इंसान हुआ जाता है
जब से मुँह को लग गई 'अख़्तर' मोहब्बत की शराबबे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया
इतनी पी है कि ब'अद-ए-तौबा भीबे-पिए बे-ख़ुदी सी रहती है
बे-पिए चैन नहीं होश नहीं जान नहींशौक़ काहे को मरज़ है मुझे मय-ख़्वारी का
मिल के सब अम्न-ओ-चैन से रहिएलानतें भेजिए फ़सादों पर
मिरे दिल से कभी ग़ाफ़िल न हों ख़ुद्दाम-ए-मय-ख़ानाये रिंद-ए-ला-उबाली बे-पिए भी तो बहकता है
बे-पिए वाइ'ज़ को मेरी राय मेंमस्जिद-ए-जामा में जाना ही न था
देखा जमाल-ए-यार तो मख़मूर हो गएबे-ख़ुद हैं बे-पिए ही ये ऐसी शराब है
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