aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bichaara"
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब थावो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था
तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैंजान बहुत शर्मिंदा हैं
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गईइक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगरजाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा करमज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्तहम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामाँ था
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भरये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभीहवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है
बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहींलगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
बिछड़ के तुझ से न देखा गया किसी का मिलापउड़ा दिए हैं परिंदे शजर पे बैठे हुए
ख़ुद को इतना भी मत बचाया करबारिशें हों तो भीग जाया कर
फिर यूँ हुआ कि मुझ से वो यूँही बिछड़ गयाफिर यूँ हुआ कि ज़ीस्त के दिन यूँही कट गए
वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का हैकि सारी बात मोहब्बत में रख-रखाव की थी
अक़्ल अय्यार है सौ भेस बदल लेती हैइश्क़ बेचारा न ज़ाहिद है न मुल्ला न हकीम
मिलना और बिछड़ जाना किसी रस्ते परइक यही क़िस्सा आदमियों के साथ रहा
तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहींऐसे हज़ारों क़िस्से हमारी ख़बर में हैं
ये कार-ए-ज़िंदगी था तो करना पड़ा मुझेख़ुद को समेटने में बिखरना पड़ा मुझे
बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना हैये तजरबा भी इसी ज़िंदगी में करना है
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँवो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ
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