aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिएज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँवीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
लड़ने को दिल जो चाहे तो आँखें लड़ाइएहो जंग भी अगर तो मज़ेदार जंग हो
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लोन छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ चाहे जिसे देनामिरी आँखों पे अपनी दीद की इक शाम लिख देना
भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर 'शकील'आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए
अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलेंरहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम
शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँमाँ की उँगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा
मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहेकि दाना ख़ाक में मिल कर गुल-ओ-गुलज़ार होता है
तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े न निबाहे जातेवर्ना हम को भी तमन्ना थी कि चाहे जाते
अजब नशा है तिरे क़ुर्ब में कि जी चाहेये ज़िंदगी तिरी आग़ोश में गुज़र जाए
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दोआइना झूट बोलता ही नहीं
ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझ सेअपने लिए वो शख़्स तड़पता भी तो देखूँ
बात चाहे बे-सलीक़ा हो 'कलीम'बात कहने का सलीक़ा चाहिए
ख़ामोशी में चाहे जितना बेगाना-पन होलेकिन इक आहट जानी-पहचानी होती है
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहेवो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे
इक रात दिल-जलों को ये ऐश-विसाल देफिर चाहे आसमान जहन्नम में डाल दे
कीजे इज़हार-ए-मोहब्बत चाहे जो अंजाम होज़िंदगी में ज़िंदगी जैसा कोई तो काम हो
सलाम उन पे तह-ए-तेग़ भी जिन्हों ने कहाजो तेरा हुक्म जो तेरी रज़ा जो तू चाहे
फिर चाहे तो न आना ओ आन बान वालेझूटा ही वअ'दा कर ले सच्ची ज़बान वाले
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