aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "chataayaa"
कोई चारह नहीं दुआ के सिवाकोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
कल सामने मंज़िल थी पीछे मिरी आवाज़ेंचलता तो बिछड़ जाता रुकता तो सफ़र जाता
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँकि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ
बच्चे फ़रेब खा के चटाई पे सो गएइक माँ उबालती रही पथर तमाम रात
मैं तो चलता हूँ तेरी याद के साथरास्ता मेरे साथ चलता है
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाएजिस में इंसान को इंसान बनाया जाए
एक मोहब्बत और वो भी नाकाम मोहब्बतलेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब हैक्या चीज़ उफ़ ये कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब है
मिन्नत-ए-चारा-साज़ कौन करेदर्द जब जाँ-नवाज़ हो जाए
सारे आलम पर हूँ मैं छाया हुआमुस्तनद है मेरा फ़रमाया हुआ
वो कौन है जो मिरे साथ साथ चलता हैये देखने को कई बार रुक गया हूँ मैं
इस जहाँ में तो अपना साया भीरौशनी हो तो साथ चलता है
चटख़ के टूट गई है तो बन गई आवाज़जो मेरे सीने में इक रोज़ ख़ामुशी हुई थी
सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगाये आग वो है जिस को दबाया न जाएगा
ज़माने के हाथों से चारा नहीं हैज़माना हमारा तुम्हारा नहीं है
बाहर से चट्टान की तरह हूँअंदर की फ़ज़ा में थरथरी है
न पैमाने खनकते हैं न दौर-ए-जाम चलता हैनई दुनिया के रिंदों में ख़ुदा का नाम चलता है
सब्ज़ पेड़ों को पता तक नहीं चलता शायदज़र्द पत्ते भरे मंज़र से निकल जाते हैं
चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहींसो तुम्हारे सिवा नहीं होता
कोई ऐसी दवा दे चारा-गरभूल जाऊँ मैं आश्ना चेहरे
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