aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "cro-magnon"
उदास लोगों के माथों को चूमते रहनाउन्ही कि वजह से बर-'अक्स हो गए तुम लोग
जी ख़ुश हुआ है गिरते मकानों को देख करये शहर ख़ौफ़-ए-ख़ुद से जिगर-चाक तो हुआ
अपने एहसास की शिद्दत को बुझाने के लिएमैं नई तर्ज़ के ख़ुश-फ़िक्र रिसाले मांगों
होने दो चराग़ाँ महलों में क्या हम को अगर दीवाली हैमज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर की दुनिया काली है
जले मकानों में भूत बैठे बड़ी मतानत से सोचते हैंकि जंगलों से निकल कर आने की क्या ज़रूरत थी आदमी को
वो मुझ को देखने मेरे क़रीब आया हैये धुँद सारे महीनों में क्यूँ नहीं पड़ती
तू तो महलों में रहती है ये तुझ को मा'लूम नहींसहराओं में मैं भटका हूँ हिज्र की वहशत मुझ से पूछ
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