aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "daddy"
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दोख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो
दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँहम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं
दे हौसले की दाद के हम तेरे ग़म में आजबैठे हैं महफ़िलों को सजाए तिरे बग़ैर
जब भी वालिद की जफ़ा याद आईअपने दादा की ख़ता याद आई
दाद-ओ-तहसीन की बोली नहीं तफ़्हीम का नक़्दशर्त कुछ तो मिरे बिकने की मुनासिब ठहरे
ये तमन्ना नहीं अब दाद-ए-हुनर दे कोईआ के मुझ को मिरे होने की ख़बर दे कोई
दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थेकुछ ज़हर भी होता है अंग्रेज़ी दवाओं में
हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदाग़ैर का दख़्ल नहीं बख़्त है अपना अपना
ये भी नया सितम है हिना तो लगाएँ ग़ैरऔर उस की दाद चाहें वो मुझ को दिखा के हाथ
ना-कर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दादया रब अगर इन कर्दा गुनाहों की सज़ा है
मेरे सुख़न की दाद भी उस को ही दीजिएवो जिस की आरज़ू मुझे शाएर बना गई
सुनोगे हाल जो मेरा तो दाद क्या दोगेयही कहोगे कि झूटा है तू ज़माने का
हुई जिन से तवक़्क़ो ख़स्तगी की दाद पाने कीवो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले
कर रहा हूँ तुझे ख़ुशी से बसरज़िंदगी तुझ से दाद चाहता हूँ
वो साथ न देता तो वो दाद न देता तोये लिखने-लिखाने का जो भी है ख़लल जाता
दाद-ए-सफ़र मिली है किसे राह-ए-शौक़ मेंहम ने मिटा दिए हैं निशाँ अपने पाँव के
तुम्हें तो अपनी जफ़ाओं की ख़ूब दाद मिलीमिरी वफ़ाओं का मुझ को कोई सिला न मिला
ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देतेसोए हुए ज़ख़्मों को जगा क्यूँ नहीं देते
हमें तो अपनी तबाही की दाद भी न मिलीतिरी नवाज़िश-ए-बेजा का क्या गिला करते
अब तेरी दाद न फ़रियाद किया करता हूँरात दिन चुपके पड़ा याद किया करता हूँ
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