aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "darmiyaan"
मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होतीहमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए
हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँहैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ
ये वार कर गया है पहलू से कौन मुझ परथा मैं ही दाएँ बाएँ और मैं ही दरमियाँ था
ये ग़म नहीं है कि हम दोनों एक हो न सकेये रंज है कि कोई दरमियान में भी न था
बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगरवो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे
उस से हर-दम मोआ'मला है मगरदरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं
ज़मीं के लोग तो क्या दो दिलों की चाहत मेंख़ुदा भी हो तो उसे दरमियान लाओ मत
उसी को कहते हैं जन्नत उसी को दोज़ख़ भीवो ज़िंदगी जो हसीनों के दरमियाँ गुज़रे
बाक़ी रहे न फ़र्क़ ज़मीन आसमान मेंअपना क़दम उठा लें अगर दरमियाँ से हम
हर बज़्म क्यूँ नुमाइश-ए-ज़ख़्म-ए-हुनर बनेहर भेद अपने दोस्तों के दरमियाँ न खोल
मसीह-ओ-ख़िज़्र की उम्रें निसार हों उस परवो एक लम्हा जो यारों के दरमियाँ गुज़रे
क्या वफ़ा ओ जफ़ा की बात करेंदरमियाँ अब तो कुछ रहा भी नहीं
इश्क़ क्या है ख़ूबसूरत सी कोई अफ़्वाह बसवो भी मेरे और तुम्हारे दरमियाँ उड़ती हुई
मुझ से बहुत क़रीब है तू फिर भी ऐ 'मुनीर'पर्दा सा कोई मेरे तिरे दरमियाँ तो है
बिछड़ते वक़्त अना दरमियान थी वर्नामनाना दोनों ने इक दूसरे को चाहा था
ज़िंदगी परछाइयाँ अपनी लिएआइनों के दरमियाँ से आई है
जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुईवक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ
मसअला था तो बस अना का थाफ़ासले दरमियाँ के थे ही नहीं
दरिया को अपनी मौज की तुग़्यानियों से कामकश्ती किसी की पार हो या दरमियाँ रहे
जो दिल में थी निगाह सी निगाह में किरन सी थीवो दास्ताँ उलझ गई वज़ाहतों के दरमियाँ
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