aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर कियाहम ने बे-शक बड़ा क़ुसूर किया
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
मुनहसिर वक़्त-ए-मुक़र्रर पे मुलाक़ात हुईआज ये आप की जानिब से नई बात हुई
'हसरत' बहुत है मर्तबा-ए-आशिक़ी बुलंदतुझ को तो मुफ़्त लोगों ने मशहूर कर दिया
कट गई एहतियात-ए-इश्क़ में उम्रहम से इज़हार-ए-मुद्दआ न हुआ
देखने आए थे वो अपनी मोहब्बत का असरकहने को ये है कि आए हैं अयादत कर के
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमामदहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम
गुज़रे बहुत उस्ताद मगर रंग-ए-असर मेंबे-मिस्ल है 'हसरत' सुख़न-ए-'मीर' अभी तक
लगा कर आँख इस जान-ए-जहाँ सेन होगा अब किसी से आश्ना दिल
दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दियासाग़र को रंग-ए-बादा ने पुर-नूर कर दिया
रानाई-ए-ख़याल को ठहरा दिया गुनाहवाइज़ भी किस क़दर है मज़ाक़-ए-सुख़न से दूर
छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहारसैर-ए-गुल का यहाँ किसे है दिमाग़
कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की 'हसरत'बहुत है उन्हें इक नज़र देख लेना
दावा-ए-आशिक़ी है तो 'हसरत' करो निबाहये क्या के इब्तिदा ही में घबरा के रह गए
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगहमुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
कहने को तो मैं भूल गया हूँ मगर ऐ यारहै ख़ाना-ए-दिल में तिरी तस्वीर अभी तक
है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भीइक तुर्फ़ा तमाशा है 'हसरत' की तबीअत भी
मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिलफिर तू ने याद आ के ब-दस्तूर कर दिया
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइएबंदा-परवर जाइए अच्छा ख़फ़ा हो जाइए
ये भी आदाब-ए-मोहब्बत ने गवारा न कियाउन की तस्वीर भी आँखों से लगाई न गई
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