aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dev-haikal"
आँख टुक मूँदने दे हैरत-ए-इश्क़ऐसी मैं टिकटिकी से दर गुज़रा
दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा कियादेर तलक वो मुझे देखा किया
एक तरफ़ तिरे हुस्न की हैरत एक तरफ़ दुनियाऔर दुनिया में देर तलक ठहरा नहीं जा सकता
अपने बिस्तर पे दम न तोड़ दें हमतेरी बातों को याद कर कर के
देने वाले तू मुझे नींद न दे ख़्वाब तो देमुझ को महताब से आगे भी कहीं जाना है
जाने कब कौन किसे मार दे काफ़िर कह केशहर का शहर मुसलमान हुआ फिरता है
हवस न पूरी हुई जब कहीं तो 'इल्म हुआतिरे बदन का रहा मुझ को आसरा बड़ी देर
आप अगर समझा दें ख़ाल-ओ-ख़द मंज़र केहम अपनी हैरत का नाम बता सकते हैं
इस तरह तुझे इश्क़ किया है कि ये दुनियाहम को ही कहीं इश्क़ का हासिल न बना दे
मैं सोचता हूँ इस लिए शायद मैं ज़िंदा हूँमुमकिन है ये गुमान हक़ीक़त का ज्ञान दे
ऐ शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही देमैं तेरे साथ साथ रहा घर नहीं गया
रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल हैमैं फ़क़त रूह नहीं हूँ मुझे हल्का न समझ
नींद का हल्का गुलाबी सा ख़ुमार आँखों में थायूँ लगा जैसे वो शब को देर तक सोया नहीं
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