aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dhalnaa"
क्या ख़बर जिस का यहाँ इतना उड़ाते हैं मज़ाक़ख़ुद हमें भी कभी इस रंग में ढलना पड़ जाए
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने कायही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
मुद्दत के ब'अद आज उसे देख कर 'मुनीर'इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया
उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबामैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा
धमका के बोसे लूँगा रुख़-ए-रश्क-ए-माह काचंदा वसूल होता है साहब दबाव से
शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती हैउम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
आ गई याद शाम ढलते हीबुझ गया दिल चराग़ जलते ही
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरीये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलतेअब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
छोटी पड़ती है अना की चादरपाँव ढकता हूँ तो सर खुलता है
ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारादिन ढलते ही दिल डूबने लगता है हमारा
कुछ और तरह की मुश्किल में डालने के लिएमैं अपनी ज़िंदगी आसान करने वाला हूँ
रात क्या सोए कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गईख़्वाब क्या देखा कि धड़का लग गया ताबीर का
दफ़ना दिया गया मुझे चाँदी की क़ब्र मेंमैं जिस को चाहती थी वो लड़का ग़रीब था
हम क्या करें सवाल ये सोचा नहीं अभीवो क्या जवाब देंगे ये धड़का अभी से है
आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा होरूह में रौशनी लहजे में चमक पैदा हो
महकते फूल सितारे दमकता चाँद धनकतिरे जमाल से कितनों ने इस्तिफ़ादा क्या
खिड़की ने आँखें खोलीदरवाज़े का दिल धड़का
साए ढलने चराग़ जलने लगेलोग अपने घरों को चलने लगे
ये हवा सारे चराग़ों को उड़ा ले जाएगीरात ढलने तक यहाँ सब कुछ धुआँ हो जाएगा
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