aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dhundlaa.e"
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिनबैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गयाये चाँद किस को ढूँडने निकला है शाम से
मुझ को ख़्वाहिश ही ढूँडने की न थीमुझ में खोया रहा ख़ुदा मेरा
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद मेंआईने आँखों के धुँदले हो गए
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछेआसाँ को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूँडते हैं
मिरी निगाह में कुछ और ढूँडने वालेतिरी निगाह में कुछ और ढूँडता हूँ मैं
बहाना ढूँडते रहते हैं कोई रोने काहमें ये शौक़ है क्या आस्तीं भिगोने का
जिस की अदा अदा पे हो इंसानियत को नाज़मिल जाए काश ऐसा बशर ढूँडते हैं हम
रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैंकितने चेहरे एक पुराने एल्बम में मर जाते हैं
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँढूँडने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
आए भी लोग बैठे भी उठ भी खड़े हुएमैं जा ही ढूँडता तिरी महफ़िल में रह गया
कोई मुझ को ढूँढने वालाभूल गया है रस्ता मुझ में
शाम की दहलीज़ पर ठहरी हुई यादें 'ज़ुबैर'ग़म की मेहराबों के धुँदले आईने चमका गईं
जहाँ में मंज़िल-ए-मक़्सूद ढूँडने वालेये काएनात की तस्वीर ही ख़याली है
इतना न पास आ कि तुझे ढूँडते फिरेंइतना न दूर जा के हमा-वक़्त पास हो
इक ग़लत-फ़हमी ने दिल का आइना धुँदला दियाइक ग़लत-फ़हमी से बरसों की शनासाई गई
क्या ढूँढने जाऊँ मैं किसी कोअपना मुझे ख़ुद पता नहीं है
जाने किस को ढूँडने दाख़िल हुआ है जिस्म मेंहड्डियों में रास्ता करता हुआ पीला बुख़ार
दिल को हम ढूँडते हैं चार तरफ़और यहाँ आप लिए बैठे हैं
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