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शेर
मरना तो लाज़िम है इक दिन जी भर के अब जी तो लूँ
मरने से पहले मर जाना मेरे बस की बात नहीं
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
शेर
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने
साहिर लुधियानवी
शेर
ये जूँ जूँ वा'दे के दिन रात पड़ते जाते हैं
घड़ी घड़ी में मिरा जी कटे है क्या कीजे