आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dildaarii"
शेर के संबंधित परिणाम "dildaarii"
शेर
हुस्न काफ़िर था अदा क़ातिल थी बातें सेहर थीं
और तो सब कुछ था लेकिन रस्म-ए-दिलदारी न थी
आल-ए-अहमद सुरूर
शेर
वो कुछ रूठी हुई आवाज़ में तज्दीद-ए-दिल-दारी
नहीं भूला तिरा वो इल्तिफ़ात-ए-सर-गिराँ अब तक
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
क्यों भेद खुले लाचारी का एहसान भी लें दिलदारी का
आँखों को नहीं हम करते नम पर दिल में समुंदर रखते हैं