aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "duurii"
हम तुम में कल दूरी भी हो सकती हैवज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरीकोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भीवो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला
मोहब्बत का तक़ाज़ा है ज़रा दूरी रखी जाएबहुत नज़दीकियाँ अक्सर बड़ी तकलीफ़ देती हैं
कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी कीख़ुशबू मार रही है मुझ को अपनी ही कस्तूरी की
मर मर के अगर शाम तो रो रो के सहर कीयूँ ज़िंदगी हम ने तिरी दूरी में बसर की
दूरी हुई तो उस के क़रीं और हम हुएये कैसे फ़ासले थे जो बढ़ने से कम हुए
आओ गले मिल कर ये देखेंअब हम में कितनी दूरी है
ये एक लम्हे की दूरी बहुत है मेरे लिएतमाम उम्र तिरा इंतिज़ार करने को
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ सेमेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझ से
पास हमारे आकर तुम बेगाना से क्यूँ होचाहो तो हम फिर कुछ दूरी पर छोड़ आएँ तुम्हें
मंज़िल पे नज़र आई बहुत दूरी-ए-मंज़िलबे-साख़्ता आने लगे सब राह-नुमा याद
कल रात जगाती रही इक ख़्वाब की दूरीऔर नींद बिछाती रही बिस्तर मिरे आगे
चाहें हैं ये हम भी कि रहे पाक मोहब्बतपर जिस में ये दूरी हो वो क्या ख़ाक मोहब्बत
तेरी दूरी भी है मुश्किल तिरी क़ुर्बत भी मुहालकिस क़दर तू ने मिरी जान सताया है मुझे
दिल और दुनिया दोनों को ख़ुश रखने मेंअपने-आप से दूरी तो हो जाती है
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिनआज वो रब्त का एहसास कहाँ है कि जो था
काबे में जाँ-ब-लब थे हम दूरी-ए-बुताँ सेआए हैं फिर के यारो अब के ख़ुदा के हाँ से
हम एक शहर में थे इक नदी की दूरी परऔर उस नदी में कोई और वक़्त बहता था
हाथ भर दूरी पे है क़िस्मत की चाबी आप कीएक छोटा सा क़दम और कामयाबी आप की
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