aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "faazil"
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलतेन जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया
कुछ लोग तो ख़िलाफ़ हों हासिद कोई तो होक्या लुत्फ़ सीधी सादी मोहब्बत में आएगा
ज़िंदगी हो तो कई काम निकल आते हैंयाद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे
मिरे लिए न रुक सके तो क्या हुआजहाँ कहीं ठहर गए हो ख़ुश रहो
मुद्दत के ब'अद आज मैं ऑफ़िस नहीं गयाख़ुद अपने साथ बैठ के दिन भर शराब पी
सब अपने अपने दियों के असीर पाए गएमैं चाँद बन के कई आँगनों में उतरा हूँ
मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दियामैं इक हिसार था तन्हाइयों ने तोड़ दिया
मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँमैं इंतिज़ार की हर कैफ़ियत से गुज़रा हूँ
सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना हैतिरी ख़ुशी के लिए तेरा ग़म भी रखना है
मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करतातरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए
तुम कभी एक नज़र मेरी तरफ़ भी देखोइक तवक़्क़ो ही तो है कोई गुज़ारिश तो नहीं
इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस नेअब मुझे देख रहा है वो धुआँ होते हुए
हमारे कमरे में उस की यादें नहीं हैं 'फ़ाज़िल'कहीं किताबें कहीं रिसाले पड़े हुए हैं
मैं अपने आप से आगे निकलने वाला थासो ख़ुद को अपनी नज़र से गिरा के बैठ गया
मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिनकर के अपने आप को आज़ाद ले जाने लगा
अब कौन जा के साहिब-ए-मिम्बर से ये कहेक्यूँ ख़ून पी रहा है सितमगर शराब पी
मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली-कूचों के जंगल मेंमगर फिर भी तिरे घर की निशानी याद रखता हूँ
इस कॉकटेल का तो नशा ही कुछ और हैग़म को ख़ुशी के साथ मिला कर शराब पी
ज़ियादा देर उसे देखना भी है 'फ़ाज़िल'और अपने आप को थोड़ा सा कम भी रखना है
गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँमैं हर गुल-रंग चेहरे को ज़बानी याद रखता हूँ
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