aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "fagan"
तिरा करम है जो साया-फ़गन तो क्या ग़म हैहज़ार बार मिरे सर से आसमाँ गुज़रे
बता तू दिल के बचाने की कोई राह भी हैतिरी निगाह की नावक-फ़गन पनाह भी है
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक केअब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगायूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता हैआग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता हैजो किसी और का होने दे न अपना रक्खे
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता हैचाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैअक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैंफिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस सेमोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहींवो रंग है ही नहीं जो तिरे बदन में नहीं
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देतीहै यही एक ख़राबी मिरी तन्हाई की
अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गयाचाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
एक बोसे के भी नसीब न होंहोंठ इतने भी अब ग़रीब न हों
हमारा ज़िंदा रहना और मरना एक जैसा हैहम अपने यौम-ए-पैदाइश को भी बरसी समझते हैं
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता हैहम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोगगीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी हैशहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है
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