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शेर
अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-तअल्लुक़ कर लो पर इक बात कहें
कल तुम इन को याद करोगे कल तुम इन्हें पुकारोगे
इब्न-ए-इंशा
शेर
किसे फ़ुर्सत कि फ़र्ज़-ए-ख़िदमत-ए-उल्फ़त बजा लाए
न तुम बेकार बैठे हो न हम बेकार बैठे हैं
आज़ाद अंसारी
शेर
तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा
फ़साना ही नहीं कोई तो उनवाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी
शेर
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें
चंद तिनके थे नशेमन के जो हम तक पहुँचे
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
शेर
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
शेर
शरअ-ओ-आईन की ताज़ीर के बा-वस्फ़ शबाब
लब-ओ-रुख़्सार की जानिब निगराँ है कि जो था
सय्यद आबिद अली आबिद
शेर
तिरे ग़म के सामने कुछ ग़म-ए-दो-जहाँ नहीं है
है जहाँ तिरा तसव्वुर वहाँ ईन-ओ-आँ नहीं है
फ़िगार उन्नावी
शेर
अमीर ख़ुसरो
शेर
शिबली नोमानी
शेर
पैग़ाम-ए-लुत्फ़-ए-ख़ास सुनाना बसंत का
दरिया-ए-फ़ैज़-ए-आम बहाना बसंत का
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
शेर
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई