aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gahvaara"
गहवारा-ए-सफ़र में खुली है हमारी आँखता'मीर अपने घर की हुई संग-ए-मील से
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न थावो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सकाहम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिबअभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
एक ही शहर में रहना है मगर मिलना नहींदेखते हैं ये अज़िय्यत भी गवारा कर के
मिट्टी पे नुमूदार हैं पानी के ज़ख़ीरेइन में कोई औरत से ज़ियादा नहीं गहरा
लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ कोज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा
अपने किस काम में लाएगा बताता भी नहींहम को औरों पे गँवाना भी नहीं चाहता है
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान हैमाथे पे उस के चोट का गहरा निशान है
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनीमुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
रहती है साथ साथ कोई ख़ुश-गवार यादतुझ से बिछड़ के तेरी रिफ़ाक़त गई नहीं
जन्नत मिली झूटों को अगर झूट के बदलेसच्चों को सज़ा में है जहन्नम भी गवारा
इश्क़ में मौत का नाम है ज़िंदगीजिस को जीना हो मरना गवारा करे
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रबऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता
कहाँ मिला मैं तुझे ये सवाल ब'अद का हैतू पहले याद तो कर किस जगह गँवाया मुझे
इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहींऔर यूँ होश से रहने में भी नादानी है
छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवादेर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं
मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायदमिरे सफ़र से अलग हो गई रवानी मिरी
बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगीमर जाइयो मगर ये गवारा न कीजियो
वो हम नहीं थे तो फिर कौन था सर-ए-बाज़ारजो कह रहा था कि बिकना हमें गवारा नहीं
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