aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "galat-fahmii"
ढूँडने वाले ग़लत-फ़हमी मैं थेवो अना के साथ अपने सुर में था
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों कोदोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
किस ग़लत-फ़हमी में अपनी उम्र सारी कट गईइक वफ़ा-ना-आश्ना को बा-वफ़ा समझा था मैं
इक ग़लत-फ़हमी ने दिल का आइना धुँदला दियाइक ग़लत-फ़हमी से बरसों की शनासाई गई
अभी चमके नहीं 'ग़ालिब' के जूतेअभी नक़्क़ाद पॉलिश कर रहे हैं
जो ये कहे कि रेख़्ता क्यूँके हो रश्क-ए-फ़ारसीगुफ़्ता-ए-'ग़ालिब' एक बार पढ़ के उसे सुना कि यूँ
हम सुख़न-फ़हम हैं 'ग़ालिब' के तरफ़-दार नहींदेखें इस सेहरे से कह दे कोई बढ़ कर सेहरा
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