aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gandhi ji aur"
मुझ से ज़ियादा कौन तमाशा देख सकेगागाँधी-जी के तीनों बंदर मेरे अंदर
जीते जी और तर्क-ए-मोहब्बतमर जाना आसान नहीं है
पता मिलता नहीं उस बे-निशाँ कालिए फिरता है क़ासिद जा-ब-जा ख़त
है मुसलमाँ को हमेशा आब-ए-ज़मज़म की तलाशऔर हर इक बरहमन गंग-ओ-जमन में मस्त है
जा-ब-जा हम को रही जल्वा-ए-जानाँ की तलाशदैर-ओ-काबा में फिरे सोहबत-ए-रहबाँ में रहे
लम्बी तान के सो जा औरसिसकी को ख़र्राटा कर
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
रोते जो आए थे रुला के गएइब्तिदा इंतिहा को रोते हैं
हम जो अब आदमी हैं पहले कभीजाम होंगे छलक गए होंगे
जो उन मासूम आँखों ने दिए थेवो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ
इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्तजीत और हार का तमाशा है
हाल मेरा भी जा-ए-इबरत हैअब सिफ़ारिश रक़ीब करते हैं
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
इन हज़ारों में और आप, ये क्या?आप, जो एक थे हज़ारों में
वो यहाँ तक जो आ नहीं सकतेक्या मुझे भी बुला नहीं सकते
था जो इक काफ़िर मुसलमाँ हो गयापल में वीराना गुलिस्ताँ हो गया
तू जो इस दुनिया की ख़ातिर अपना-आप गँवाता हैऐ दिल-ए-मन ऐ मेरे मुसाफ़िर काम है ये नादानों का
कभी की थी जो अब वफ़ा कीजिएगामुझे पूछ कर आप क्या कीजिएगा
हम जो पहुँचे तो रहगुज़र ही न थीतुम जो आए तो मंज़िलें लाए
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गईअब तो आ जा अब तो ख़ल्वत हो गई
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