aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gine"
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसरदिन गिने जाते थे इस दिन के लिए
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँवो दिन जो हम ने तिरे हिज्र में गुज़ारे थे
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हमहर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं
नेकियाँ गिनने की नौबत ही नहीं आएगीमैं ने जो माँ पे लिखा है वही काफ़ी होगा
वस्ल के दिन गिने हैं उंगली परहिज्र का कोई भी हिसाब नहीं
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठेंवो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
इतने घने बादल के पीछेकितना तन्हा होगा चाँद
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैंकाँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस मेंबंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते
गुनाह गिन के मैं क्यूँ अपने दिल को छोटा करूँसुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं
काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिनतितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा
अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबामेरा तिरा मोआ'मला इश्क़ के बस का था नहीं
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँजिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
तुम्हारी मस्लहत अच्छी कि अपना ये जुनूँ बेहतरसँभल कर गिरने वालो हम तो गिर गिर कर सँभले हैं
बज़्म-ए-वफ़ा सजी तो अजब सिलसिले हुएशिकवे हुए न उन से न हम से गिले हुए
हैं ए'तिबार से कितने गिरे हुए देखाइसी ज़माने में क़िस्से इसी ज़माने के
न कर शुमार कि हर शय गिनी नहीं जातीये ज़िंदगी है हिसाबों से जी नहीं जाती
मौसम-ए-ज़र्द में एक दिल को बचाऊँ कैसेऐसी रुत में तो घने पेड़ भी झड़ जाते हैं
क्या कहूँ दीदा-ए-तर ये तो मिरा चेहरा हैसंग कट जाते हैं बारिश की जहाँ धार गिरे
तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिननौ बरस ग्यारह महीने सात दिन
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