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शेर
दीदनी है अब शिकस्त-ए-ज़ब्त की बे-चारगी
मुस्कुराता हूँ मगर दिल दर्द से लबरेज़ है
अकबर हैदरी कश्मीरी
शेर
शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले
मिर्ज़ा अज़ीम बेग 'अज़ीम'
शेर
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
है तमाशा-गाह-ए-सोज़-ए-ताज़ा हर यक उज़्व-ए-तन
जूँ चराग़ान-ए-दिवाली सफ़-ब-सफ़ जलता हूँ मैं
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
ख़याल-ए-नाफ़ में ज़ुल्फ़ों ने मुश्कीं बाँध दीं मेरी
शनावर किस तरह गिर्दाब से बे-दस्त-ओ-पा निकले