aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीतदेंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिबअभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले लेदिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकीअल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैंअभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं
वो साफ़-गो है मगर बात का हुनर सीखेबदन हसीं है तो क्या बे-लिबास आएगा
बुरा न मान 'ज़िया' उस की साफ़-गोई काजो दर्द-मंद भी है और बे-अदब भी नहीं
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गएलेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम हैरहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
गला तो घोंट दिया अहल-ए-मदरसा ने तिराकहाँ से आए सदा ला इलाह इल-लल्लाह
न गोर-ए-सिकंदर न है क़ब्र-ए-दारामिटे नामियों के निशाँ कैसे कैसे
किसी अकेली शाम की चुप मेंगीत पुराने गा के देखो
गो अपने हज़ार नाम रख लूँपर अपने सिवा मैं और क्या हूँ
शामें किसी को माँगती हैं आज भी 'फ़िराक़'गो ज़िंदगी में यूँ मुझे कोई कमी नहीं
गो आबले हैं पाँव में फिर भी ऐ रहरवोमंज़िल की जुस्तुजू है तो जारी रहे सफ़र
गो बरसती नहीं सदा आँखेंअब्र तो बारा मास होता है
तारों का गो शुमार में आना मुहाल हैलेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे
अल्लाह तेरे हाथ है अब आबरू-ए-शौक़दम घुट रहा है वक़्त की रफ़्तार देख कर
गो क़यामत से पेशतर न हुईतुम न आए तो क्या सहर न हुई
गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गारलेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा
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