aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gubaara"
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
पर नहीं होते ख़यालों के तो फिरकैसे उड़ते हैं ग़ुबारा समझो
आप के बा'द हर घड़ी हम नेआप के साथ ही गुज़ारी है
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानादर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँउन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसेतमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती हैआज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहींअब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सकाहम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगेमर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
मैं रोज़ इधर से गुज़रता हूँ कौन देखता हैमैं जब इधर से न गुज़रूँगा कौन देखेगा
रात आ कर गुज़र भी जाती हैइक हमारी सहर नहीं होती
यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैरजैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
ऐ शम्अ' तुझ पे रात ये भारी है जिस तरहमैं ने तमाम उम्र गुज़ारी है इस तरह
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँवीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नहीं जातेजीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते
काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा करफूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ
हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलोहमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना
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