aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "guftaar"
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भीतो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है
शेर मेरे भी हैं पुर-दर्द व-लेकिन 'हसरत''मीर' का शेवा-ए-गुफ़्तार कहाँ से लाऊँ
बचपन ने हमें दी है ये शीरीनी-ए-गुफ़्तारउर्दू नहीं हम माँ की ज़बाँ बोल रहे हैं
यूँ 'आबरू' बनावे दिल में हज़ार बातेंजब रू-ब-रू हो तेरे गुफ़्तार भूल जावे
इस शोख़ी-ए-गुफ़्तार पर आता है बहुत प्यारजब प्यार से कहते हैं वो शैतान कहीं का
हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूसख़ामोश मगर तब-ए-ख़ुद-आरा नहीं होती
फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्ताररख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे
बहार आई गुलों को हँसी नहीं आईकहीं से बू तिरी गुफ़्तार की नहीं आई
तुम कान धर सुनो न सुनो उस के हर्फ़ को'सौदा' को हैगी अपनी ही गुफ़्तार से ग़रज़
कैसी फ़रफ़र ज़बान चलती हैउस की गुफ़्तार-ए-बे-ख़तर को देख
रखते हैं दहानों पे सदा मोहर-ए-ख़मोशीवे लोग जिन्हें आती है गुफ़्तार-ए-मोहब्बत
है ख़याल उस का माना-ए-गुफ़्तारवर्ना सौ क़ुव्वत-ए-बयाँ है मुझे
तेज़ी-ए-बादा कुजा तल्ख़ी-ए-गुफ़्तार कुजाकुंद है नश्तर-ए-साक़ी से सिनान-ए-वाइज़
हम अपने आप में गुम जा रहे थेकिसी गुफ़्तार ने चौंका दिया था
ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ीसिमट के आ गए सब आप की अदाओं में
दिखावा ही करना है तो फिर बड़ा करतू शाइ'र नहीं ख़ुद को आशिक़ कहा कर
हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वालेतमांचे मौज के खाते थे जो बन कर गुहर निकले
रह-ए-क़रार अजब राह-ए-बे-क़रारी हैरुके हुए हैं मुसाफ़िर सफ़र भी जारी है
तश्बीह तिरे चेहरे को क्या दूँ गुल-ए-तर सेहोता है शगुफ़्ता मगर इतना नहीं होता
सच नहीं है अनाज की क़िल्लतयार फ़ाक़े यहाँ ज़मीर के हैं
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