aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ham-navaa-e-zaag"
महरूम है नामा-दार-ए-दुनियापानी से तिही हबाब देखा
हर एक अहद ने लिक्खा है अपना नामा-ए-शौक़किसी ने ख़ूँ से लिखा है किसी ने आँसू से
उम्र भर की नवा-गरी का सिलाऐ ख़ुदा कोई हम-नवा ही दे
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न देमैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
बड़ा अजीब है तहज़ीब-ए-इर्तिक़ा के लिएतमाम उम्र किसी इक को हम-नवा रखना
ग़म-ओ-अलम भी हैं तुम से ख़ुशी भी तुम से हैनवा-ए-सोज़ में तुम हो सदा-ए-साज़ में तुम
नावक-ए-नाज़ से मुश्किल है बचाना दिल कादर्द उठ उठ के बताता है ठिकाना दिल का
नवाह-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी में गूँज है किस कीकोई बताए ये 'अमजद' कि हम बताएँगे
कू-ए-क़ातिल में बसेगी नई दुनिया इक औररोज़ होता है नया शहर-ए-ख़मोशाँ आबाद
सच पूछिए तो नाला-ए-बुलबुल है बे-ख़ताफूलों में सारी आग लगाई सबा की है
हर सम्त गर्द-ए-नाक़ा-ए-लैला बुलंद हैपहुँचे जो हौसला हो किसी शहसवार का
तड़प रहा है दिल इक नावक-ए-जफ़ा के लिएउसी निगाह से फिर देखिए ख़ुदा के लिए
क्यूँ न ठहरें हदफ़-ए-नावक-ए-बे-दाद कि हमआप उठा लेते हैं गर तीर ख़ता होता है
लैला का सियह ख़ेमा या आँख है हिरनों कीये शाख़-ए-ग़ज़ालाँ है या नाला-ए-मज्नूँ है
जब पुराना लहजा खो देता है अपनी ताज़गीइक नई तर्ज़-ए-नवा ईजाद कर लेते हैं हम
शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है नातू सच बता ये मुलाक़ात आख़री है ना
कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देखकि ख़ुदा भी है ना-ख़ुदा ही नहीं
इसी लिए हमें एहसास-ए-जुर्म है शायदअभी हमारी मोहब्बत नई नई है ना
ये एक लम्हा जिसे हम नया समझते हैंख़ुदा करे कि नए मौसमों के साथ आए
तवक़्क़ो' है धोके में आ कर वह पढ़ लेंकि लिक्खा है नामा उन्हें ख़त बदल कर
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