aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hasrat"
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद हैहम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आतीमगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम नेकुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगहमुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकलेआशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले
आरज़ू तेरी बरक़रार रहेदिल का क्या है रहा रहा न रहा
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही होआँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवाहसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजालदेखता था मैं कि तू ने भी इशारा कर दिया
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसूइक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्नआया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
उसे क्यूँ हम ने दिया दिल जो है बे-मेहरी में कामिल जिसे आदत है जफ़ा कीजिसे चिढ़ मेहर-ओ-वफ़ा की जिसे आता नहीं आना ग़म-ओ-हसरत का मिटाना जो सितम में है यगाना
तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ालीचलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करेंदुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ीबादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हमकुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार यादमुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग
कट गई एहतियात-ए-इश्क़ में उम्रहम से इज़हार-ए-मुद्दआ न हुआ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books