aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "haul"
कितने पुर-हौल अँधेरों से गुज़र कर ऐ दोस्तहम तिरे हुस्न की रख़्शंदा सहर तक पहुँचे
तारीकी में लिपटी हुई पुर-हौल ख़मोशीइस आलम में क्या नहीं मुमकिन जागते रहना
अजब नहीं है कि दिल पर जमी मिली काईबहुत दिनों से तो ये हौज़ साफ़ भी न हुआ
हौले हौले वस्ल हुआधीरे धीरे जान गई
अक़्ल के भटके होऊँ को राह दिखलाते हुएहम ने काटी ज़िंदगी दीवाना कहलाते हुए
मरहम तिरे विसाल का लाज़िम है ऐ सनमदिल में लगी है हिज्र की बर्छी की हूल आज
दिल और सियह हो गए माह-ए-रमज़ाँ मेंइक हौज़ है आईना-ए-नैरंग ज़मीं पर
शैख़-जी गिर गए थे हौज़ में मयख़ाने केडूब कर चश्मा-ए-कौसर के किनारे निकले
कभी इक बार हौले से पुकारा था मुझे तुम नेकिसी की मुझ से अब आवाज़ पहचानी नहीं जाती
कोयलें कूकीं बहुत दीवार-ए-गुलशन की तरफ़चाँद दमका हौज़ के शफ़्फ़ाफ़ पानी में बहुत
जब आना ख़्वाब में हौले से नर्मी से क़दम रखनागराँ है इक ज़रा आहट तिरे महव-ए-तसव्वुर को
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