aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hisaab-e-jaa.n"
सारा हिसाब-ए-जान-ओ-दिल रक्खा है तेरे सामनेचाहे तो दे अमाँ मुझे चाहे तो दरगुज़र न कर
हो गए राम जो तुम ग़ैर से ए जान-ए-जहाँजल रही है दिल-ए-पुर-नूर की लंका देखो
दर्द-ए-दिल और जान-लेवा पुर्सिशेंएक बीमारी की सौ बीमारियाँ
आह ये आँसू प्यारे प्यारेलिख दे हिसाब-ए-ग़म में हमारे
इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ हैऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते
दुख झेलो तो जी कड़ा ही रखनादिल है तो हिसाब-ए-दोस्ताँ है
अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकलाजिस को दुश्वार मैं समझा था वो आसाँ निकला
मानी-ए-जावेदान-ए-जाँ कुछ भी नहीं मगर ज़ियाँसारे कलीम हैं ज़ुबूँ सारा कलाम रंज है
साबित हुआ सुकून-ए-दिल-ओ-जाँ कहीं नहींरिश्तों में ढूँढता है तो ढूँडा करे कोई
उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पासऐ दिल-रुबा-ए-ग़ारत-ए-जाँ अपने फ़न में आ
पूछ न वस्ल का हिसाब हाल है अब बहुत ख़राबरिश्ता-ए-जिस्म-ओ-जाँ के बीच जिस्म हराम हो गया
वही कैफ़िय्यत-ए-चश्म-ओ-दिल-ओ-जाँ है 'इक़बाल'न कोई रब्त बना और न रिश्ता टूटा
बेगम भी हैं खड़ी हुई मैदान-ए-हश्र मेंमुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग
हिसाब-ए-दोस्ताँ करने ही से मालूम ये होगाख़सारे में हूँ या अब मैं ख़सारे से निकल आया
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार यादमुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग
अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोईनए सफ़र के लिए रास्ता न माँगे कोई
वो बज़्म से निकाल के कहते हैं ऐ 'ज़हीर'जाओ मगर क़रीब-ए-रग-ए-जाँ रहा करो
हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आयावो रौशनी थी कि कुछ भी नज़र नहीं आया
क़ैद-ए-आवारगी-ए-जाँ ही बहुत है मुझ कोएक दीवार मिरी रूह के अंदर न बना
ये किस की याद की बारिश में भीगता है बदनये कैसा फूल सर-ए-शाख़-ए-जाँ खिला हुआ है
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