aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "huduud"
अब इन हुदूद में लाया है इंतिज़ार मुझेवो आ भी जाएँ तो आए न ए'तिबार मुझे
हुदूद-ए-वक़्त से बाहर अजब हिसार में हूँमैं एक लम्हा हूँ सदियों के इंतिज़ार में हूँ
फ़सील-ए-जिस्म पे ताज़ा लहू के छींटे हैंहुदूद-ए-वक़्त से आगे निकल गया है कोई
अब मैं हुदूद-ए-होश-ओ-ख़िरद से गुज़र गयाठुकराओ चाहे प्यार करो मैं नशे में हूँ
अपने हुदूद से न बढ़े कोई इश्क़ मेंजो ज़र्रा जिस जगह है वहीं आफ़्ताब है
यारो हुदूद-ए-ग़म से गुज़रने लगा हूँ मैंमुझ को समेट लो कि बिखरने लगा हूँ मैं
हुदूद-ए-दिल से जो गुज़रा वो जान-लेवा थायूँ ज़लज़ले तो कई इस जहान में आए
हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े तो ये देखाकि तिश्नगी थी बरहना तिरी अदाओं तक
हुदूद-ए-कूचा-ए-महबूब हैं वहीं से शुरूअजहाँ से पड़ने लगीं पाँव डगमगाते हुए
हुदूद-ए-वक़्त के दरवाज़े मुंतज़िर हैं 'नसीम'कि तू ये फ़ासले कर के उबूर दस्तक दे
हुदूद-ए-शहर से बाहर भी बस्तियाँ फैलींसिमट के रह गए यूँ जंगलों के घेरे भी
चराग़ सज्दा जला के देखो है बुत-कदा दफ़्न ज़ेर-ए-काबाहुदूद-ए-इस्लाम ही के अंदर ये सरहद-ए-काफ़िरी मिलेगी
क़दम है ऐन हुदूस और हुदूस ऐन क़दमजो तू न जल्वे में आता तो मैं कहाँ होता
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