aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "illato.n"
आदतन तुम ने कर दिए वादेआदतन हम ने ए'तिबार किया
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिलाजाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदासरौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं
गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के ब'अद हमकुछ दूर आदतन भी क़दम डगमगाए हैं
आहटें सुन रहा हूँ यादों कीआज भी अपने इंतिज़ार में गुम
ये औरतों में तवाइफ़ तो ढूँड लेती हैंतवाइफ़ों में इन्हें औरतें नहीं मिलतीं
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरीतो फिर इन बद-नसीबों को न क्यूँ उर्दू ज़बाँ आई
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शकमगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं
उस बार उजालों ने मुझे घेर लिया थाइस बार मिरी रात मिरे साथ चली है
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगेरात के मुसाफ़िर थे खो गए उजालों में
शोहरत की फ़ज़ाओं में इतना न उड़ो 'साग़र'परवाज़ न खो जाए इन ऊँची उड़ानों में
ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त के अंधेरे मेंभीक के उजालों से रौशनी नहीं होती
लगा जब यूँ कि उकताने लगा है दिल उजालों सेउसे महफ़िल से उस की अलविदा'अ कह कर निकल आए
ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगरसजावटों की बिना औरतों की ज़ात हुई
पहले तो उस की याद ने सोने नहीं दियाफिर उस की आहटों ने कहा जागते रहो
परिंद ऊँची उड़ानों की धुन में रहता हैमगर ज़मीं की हदों में बसर भी करता है
इस अँधेरे में न इक गाम भी रुकना यारोअब तो इक दूसरे की आहटें काम आएँगी
दिल में कोई ख़ुशी नहीं लेकिनआदतन मुस्कुरा रहा हूँ मैं
किसी का घर जले अपना ही घर लगे है मुझेवो हाल है कि उजालों से डर लगे है मुझे
औरतों की आँखों पर काले काले चश्मे थे सब की सब बरहना थींज़ाहिदों ने जब देखा साहिलों का ये मंज़र लिख दिया गुनाहों में
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