aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "iqtidaar"
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
हम हिज़्ब-ए-इख़्तिलाफ़ में भी मोहतरम हुएवो इक़्तिदार में हैं मगर बे-विक़ार हैं
क्या ग़म अगर यज़ीद रहा इक़्तिदार मेंपरचम तो फिर हुसैन का मीर-ए-अवाम है
तमाम मसअले नौइयत-ए-सवाल के हैंजवाब होते हैं सारे सवाल के अंदर
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिनदो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े सेमैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँतू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
तेरे आने की क्या उमीद मगरकैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हमअब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिनमुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहाये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्नावस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
आदतन तुम ने कर दिए वादेआदतन हम ने ए'तिबार किया
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार कियातमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
जानता है कि वो न आएँगेफिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
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