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शेर
पौ फटते ही 'रियाज़' जहाँ ख़ुल्द बन गया
ग़िल्मान-ए-महर साथ लिए आई हूर-ए-सुब्ह
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
सुकून-ए-दिल जहान-ए-बेश-ओ-कम में ढूँडने वाले
यहाँ हर चीज़ मिलती है सुकून-ए-दिल नहीं मिलता
जगन्नाथ आज़ाद
शेर
बे-इल्म शाइरों का गिला क्या है ऐ 'मुनीर'
है अहल-ए-इल्म को तिरा तर्ज़-ए-बयाँ पसंद
मुनीर शिकोहाबादी
शेर
वो अगर बुरा न मानें तो जहान-ए-रंग-ओ-बू में
मैं सुकून-ए-दिल की ख़ातिर कोई ढूँड लूँ सहारा
शकील बदायूनी
शेर
दर्स-ए-इल्म-ए-इश्क़ से वाक़िफ़ नहीं मुतलक़ फ़क़ीह
नहव ही में महव है या सर्फ़ ही में सर्फ़ है
वलीउल्लाह मुहिब
शेर
सुख़न-साज़ी में लाज़िम है कमाल-ए-इल्म-ओ-फ़न होना
महज़ तुक-बंदियों से कोई शाएर हो नहीं सकता