aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "janm-din"
बाँट डाले ऐसे हम ने दिल के टुकड़े काट करजन्म दिन पे बाँटते हैं केक जैसे काट कर
जान दी दी हुई उसी की थीहक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ
लोग समझे अपनी सच्चाई की ख़ातिर जान दीवर्ना हम तो जुर्म का इक़रार करने आए थे
ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूलहवा बिखेर गई मोम-बत्तियाँ और फूल
जान-ओ-दिल हैं उदास से मेरेउठ गया कौन पास से मेरे
घिरा हुआ हूँ जनम-दिन से इस तआक़ुब मेंज़मीन आगे है और आसमाँ मिरे पीछे
जान-ओ-दिल था नज़्र तेरी कर चुकातेरे आशिक़ की यही औक़ात है
सारा हिसाब-ए-जान-ओ-दिल रक्खा है तेरे सामनेचाहे तो दे अमाँ मुझे चाहे तो दरगुज़र न कर
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँजनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ
माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया हैआज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है
हुज़ूर आप तकल्लुफ़ में क्यों पड़े हुए हैंमरे हुओं के जनम-दिन नहीं मनाता कोई
ठहर गया है दिल का जानादिल का जाना ठहर गया है
जब वस्ल का आएगा तिरे साथ सनम दिनउस दिन को हक़ीक़त में कहूँगा मैं जनम-दिन
दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जानादिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना
नज़र में बे-रुख़ी लब पर तबस्सुमन जाने दिल में क्या ठाने हुए हैं
दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैंबारिश की एक बूँद न बे-कार जाने दूँ
उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पासऐ दिल-रुबा-ए-ग़ारत-ए-जाँ अपने फ़न में आ
कर के बिस्मिल न तू ने फिर देखाबस इसी ग़म में जान दी हम ने
अक़्ल ने तर्क-ए-तअल्लुक़ को ग़नीमत जानादिल को बदले हुए हालात पे रोना आया
बिछड़ने वालों में हम जिस से आश्ना कम थेन जाने दिल ने उसे याद क्यूँ ज़ियादा किया
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