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शेर
अगर है ज़िंदगी इक जश्न तो ना-मेहरबाँ क्यों है
फ़सुर्दा रंग में डूबी हुई हर दास्ताँ क्यों है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अगर है ज़िंदगी इक जश्न तो ना-मेहरबाँ क्यों है
फ़सुर्दा रंग में डूबी हुई हर दास्ताँ क्यों है
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