आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jh nhi he to karo aur vo log in to the ki wo sab"
शेर के संबंधित परिणाम "jh nhi he to karo aur vo log in to the ki wo sab"
शेर
चराग़-ए-कुश्ता ले कर हम तिरी महफ़िल में क्या आते
जो दिन थे ज़िंदगी के वो तो रस्ते में गुज़ार आए
मयकश अकबराबादी
शेर
रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी
आज तो वो भी यूँ गुज़री जैसे ग़रीबों का त्यौहार
मुस्तफ़ा ज़ैदी
शेर
शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू ने
ब'अद तिरे वो बात तिरे ही अफ़्सानों में गूँजती है
आसिमा ताहिर
शेर
तअल्लुक़ आशिक़ ओ माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था
मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीवी मियाँ हो कर
अकबर इलाहाबादी
शेर
वो अपनी नफ़रतों को कहाँ जा के बाँटता
उस के लिए तो शहर में आसान मैं ही था