aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jharnaa"
गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल सेइस से पहले कि तिरे पाँव ये झरना पड़ जाए
'साहिर' ये मेरा दीदा-ए-गिर्यां है और मैंसहरा में कोई दूसरा झरना तो है नहीं
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानादर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जानाजिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
हमारी मुस्कुराहट पर न जानादिया तो क़ब्र पर भी जल रहा है
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानीझूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगतामुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जानाज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेराऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा
न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ावो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं
न जाना कि दुनिया से जाता है कोईबहुत देर की मेहरबाँ आते आते
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जानाकि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना हैहम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
यही जाना कि कुछ न जाना हाएसो भी इक उम्र में हुआ मालूम
फिर वहीं लौट के जाना होगायार ने कैसी रिहाई दी है
कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिएपानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
भूल जाना नहीं गुनाह उसेयाद करना उसे सवाब नहीं
माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी
मिलना और बिछड़ जाना किसी रस्ते परइक यही क़िस्सा आदमियों के साथ रहा
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