aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kaar-guzaarii"
'आज़िम' तेरी बर्बादी में सब ने मिल-जुल कर काम कियाकुछ खेल लकीरों का भी है कुछ वक़्त की कार-गुज़ारी भी
कितनी घटाएँ आईं बरस कर गुज़र गईंशोला हमारे दिल का बुझाया न जा सका
बराबर से बच कर गुज़र जाने वालेये नाले नहीं बे-असर जाने वाले
मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनियामैं तिरी राह से हटा ही नहीं
रात आ कर गुज़र भी जाती हैइक हमारी सहर नहीं होती
ज़ुल्मतों का गुज़र कहाँ मुमकिनउन का रौशन ख़याल आता है
लाख आफ़्ताब पास से हो कर गुज़र गएहम बैठे इंतिज़ार-ए-सहर देखते रहे
तू कभी इस शहर से हो कर गुज़ररास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं
कब का गुज़र चुका है दीवानगी का आलमफिर भी 'मजाज़' अपना दामन रफ़ू करे है
इलाज उस का गुज़र जाना है जाँ सेगुज़र जाने का जाँ से डर रहेगा
पिछ्ला बरस तो ख़ून रुला कर गुज़र गयाक्या गुल खिलाएगा ये नया साल दोस्तो
होता है मिरे दिल में हसीनों का गुज़र भीइक अंजुमन-ए-नाज़ है अल्लाह का घर भी
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँकोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए
न सो सका हूँ न शब जाग कर गुज़ारी हैअजीब दिन हैं सुकूँ है न बे-क़रारी है
तुम तो ठुकरा कर गुज़र जाओ तुम्हें टोकेगा कौनमैं पड़ा हूँ राह में तो क्या तुम्हारा जाएगा
सब देख कर गुज़र गए इक पल में और हमदीवार पर बने हुए मंज़र में खो गए
'हैरत' के ग़म-कदे में ख़ुशी का गुज़र कहाँआप आ गए तो रौनक़-ए-काशाना हो गई
वादी-ए-शब में उजालों का गुज़र हो कैसेदिल जलाए रहो पैग़ाम-ए-सहर आने तक
गुज़ारी उम्र हम ने आबियारी में किसी कीवो अपना एक कार-ए-बे-समर था और हम थे
अजब तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी हम नेजहाँ में रह के न कार-ए-जहाँ को पहचाना
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