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शेर
'कैफ़' यूँ आग़ोश-ए-फ़न में ज़ेहन को नींद आ गई
जैसे माँ की गोद में बच्चा सिसक कर सो गया
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
शेर
इस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में
सब जाम-ब-कफ़ बैठे ही रहे हम पी भी गए छलका भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
शेर
इज्तिबा रिज़वी
शेर
इज्तिबा रिज़वी
शेर
ज़रा आहिस्ता ले चल कारवान-ए-कैफ़-ओ-मस्ती को
कि सत्ह-ए-ज़ेहन-ए-आलम सख़्त ना-हमवार है साक़ी
जोश मलीहाबादी
शेर
ख़ुश्क बातों में कहाँ है शैख़ कैफ़-ए-ज़िंदगी
वो तो पी कर ही मिलेगा जो मज़ा पीने में है
अर्श मलसियानी
शेर
जुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेह
गुज़रती है जो दीवानों पे दीवाने समझते हैं