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शेर
इन्दिरा वर्मा
शेर
क्या अजब कार-ए-तहय्युर है सुपुर्द-ए-नार-ए-इश्क़
घर में जो था बच गया और जो नहीं था जल गया
सलीम कौसर
शेर
तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो
तुम्हीं जिगर हो तुम्हीं जान हो तुम्हीं दिल हो
अफ़सर इलाहाबादी
शेर
नई मुश्किल कोई दरपेश हर मुश्किल से आगे है
सफ़र दीवानगी का इश्क़ की मंज़िल से आगे है
ख़ुशबीर सिंह शाद
शेर
महफ़िल-ए-कौन-ओ-मकाँ तेरी ही बज़्म-ए-नाज़ है
हम कहाँ जाएँगे इस महफ़िल से उठ जाने के बा'द
फ़िगार उन्नावी
शेर
वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मिरी दुआ में असर न हो
बशीर बद्र
शेर
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है
बशीर बद्र
शेर
ऐ फ़लक तुझ को क़सम है मिरी इस को न बुझा
कि ग़रीबों को चराग़-ए-शब-ए-तारीक है दिल