aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "katne"
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो थाजिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा
वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुएरो पड़ा वो आप मुझ को हौसला देते हुए
पहाड़ काटने वाले ज़मीं से हार गएइसी ज़मीन में दरिया समाए हैं क्या क्या
दिन कटा फ़रियाद से और रात ज़ारी से कटीउम्र कटने को कटी पर कितनी ख़्वारी से कटी
हिज्र की रात काटने वालेक्या करेगा अगर सहर न हुई
हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगेसुनने वाले रात कटने की दुआ देने लगे
आते हैं जैसे जैसे बिछड़ने के दिन क़रीबलगता है जैसे रेल से कटने लगा हूँ मैं
आपस की गुफ़्तुगू में भी कटने लगी ज़बाँअब दोस्तों से तर्क-ए-मुलाक़ात चाहिए
कुछ ऐसे कम-नज़र भी मुसाफ़िर हमें मिलेजो साया ढूँडते हैं शजर काटने के बा'द
उतरी हुई है धूप बदन के हिसार मेंक़ुर्बत के फ़ासलों का सफ़र काटने के बा'द
देखो दरख़्त काटने से पहले एक बारइन सब्ज़ टहनियों पे कोई घोंसला न हो
उस वक़्त से बचा मुझे ऐ रब्ब-ए-काएनातहुब्ब-ए-वतन हो दिल में वतन काटने लगे
हम यहाँ काटने आए हैं शब-ए-फ़ुर्क़त-ए-यारहम ज़रा भी हैं अगर ख़ुश तो ग़नीमत जानो
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैंकिसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
क्या सितम है कि अब तिरी सूरतग़ौर करने पे याद आती है
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम परहँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
मोहब्बत करने वाले कम न होंगेतिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने मेंजो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगरसर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े
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