आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khaak-e-khisht"
शेर के संबंधित परिणाम "khaak-e-khisht"
शेर
ख़ाक-ए-'शिबली' से ख़मीर अपना भी उट्ठा है 'फ़ज़ा'
नाम उर्दू का हुआ है इसी घर से ऊँचा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
शेर
किस तरह कर दिया दिल-ए-नाज़ुक को चूर-चूर
इस वाक़िआ' की ख़ाक है पत्थर को इत्तिलाअ'
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
मुझे जब मार ही डाला तो अब दोनों बराबर हैं
उड़ाओ ख़ाक सरसर बन के या बाद-ए-सबा बन कर
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
मूसा ने कोह-ए-तूर पे देखा जो कुछ वही
आता है आरिफ़ों को नज़र संग-ओ-ख़िश्त में
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
ख़ाक-ए-आग़श्ता-ब-ख़ूँ को मिरी बे-क़द्र न जान
गुल-बदन सारे इसे करते हैं उबटन अपना