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शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
शेर
हुई सुब्ह जाम खनक उठे हुई शाम नग़्मे बिखर गए
वो हसीन दिन भी थे किस क़दर जो तुम्हारे साथ गुज़र गए
सलाम संदेलवी
शेर
एहसान दरबंगावी
शेर
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में