aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "khasm"
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँअब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्तादिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसूख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं
मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैंये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुईकि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
कहीं ज़मीं से तअल्लुक़ न ख़त्म हो जाएबहुत न ख़ुद को हवा में उछालिए साहिब
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरनातिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है
उस से कुछ ख़ास तअल्लुक़ भी नहीं है अपनामैं परेशान हुआ जिस की परेशानी पर
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझेरौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा
जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्नाख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह
हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस नेजो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता हैये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए
सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने काकि खेल ख़त्म हुआ कश्तियाँ डुबोने का
ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसामौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
आज बहुत उदास हूँयूँ कोई ख़ास ग़म नहीं
ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गईयहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई
अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गयामैं ज़िंदगी का देते देते सूद ख़त्म हो गया
किस क़दर महदूद कर देता है ग़म इंसान कोख़त्म कर देता है हर उम्मीद हर इम्कान को
उस सितमगर की हक़ीक़त हम पे ज़ाहिर हो गईख़त्म ख़ुश-फ़हमी की मंज़िल का सफ़र भी हो गया
अगर बख़्शे ज़हे क़िस्मत न बख़्शे तो शिकायत क्यासर-ए-तस्लीम ख़म है जो मिज़ाज-ए-यार में आए
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