aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kho.ii"
रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आईजैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए
क्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआ कर केबात भी खोई इल्तिजा कर के
दिल की धड़कन भी बड़ी चीज़ है तन्हाई मेंतेरी खोई हुई आवाज़ सुना करते हैं
सुनाता है क्या हैरत-अंगेज़ क़िस्सेहसीनों में खोई हो जिस ने जवानी
दर-ब-दर फिरने ने मेरी क़द्र खोई ऐ फ़लकउन के दिल में ही जगह मिलती जो ख़ल्वत माँगता
मैं उस के ध्यान में खोई हुई थीसभी मिसरे ग़ज़ल के सज गए हैं
मैं ने आवाज़ बा'द में खोईपहले मैं ने उसे पुकारा था
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
कोई समझे तो एक बात कहूँइश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओमिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैंकि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा
मौत का भी इलाज हो शायदज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाममुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वोऔर ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करतेअब कोई शिकवा हम नहीं करते
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहासब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
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