aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kulliyat e jigar jigar moradabadi ebooks"
लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-जिगर याद आईफिर तिरी पहली नज़र याद आई
एक दिल है और तूफ़ान-ए-हवादिस ऐ 'जिगर'एक शीशा है कि हर पत्थर से टकराता हूँ मैं
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना हैसिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिलहम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
दिल को सुकून रूह को आराम आ गयामौत आ गई कि दोस्त का पैग़ाम आ गया
तूल-ए-ग़म-ए-हयात से घबरा न ऐ 'जिगर'ऐसी भी कोई शाम है जिस की सहर न हो
आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना हैजब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है
आई जब उन की याद तो आती चली गईहर नक़्श-ए-मा-सिवा को मिटाती चली गई
दिल गया रौनक़-ए-हयात गईग़म गया सारी काएनात गई
आतिश-ए-इश्क़ वो जहन्नम हैजिस में फ़िरदौस के नज़ारे हैं
उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानेंमेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे
सभी अंदाज़-ए-हुस्न प्यारे हैंहम मगर सादगी के मारे हैं
जीते जी और तर्क-ए-मोहब्बतमर जाना आसान नहीं है
कूचा-ए-इश्क़ में निकल आयाजिस को ख़ाना-ख़राब होना था
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंजैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोगये न समझो ख़राब हैं हम लोग
मोहब्बत में ये क्या मक़ाम आ रहे हैंकि मंज़िल पे हैं और चले जा रहे हैं
दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गएअब यहाँ आराम ही आराम है
जहल-ए-ख़िरद ने दिन ये दिखाएघट गए इंसाँ बढ़ गए साए
किधर से बर्क़ चमकती है देखें ऐ वाइज़मैं अपना जाम उठाता हूँ तू किताब उठा
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books