aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kuuza-gar-e-qaamuus"
कूज़ा-गर ने जब मेरी मिटी से की तख़्लीक़-ए-नौहो गए ख़ुद जज़्ब मुझ में आग और पानी हवा
साथ जब छोड़ गए मेरा तुम ऐ कूज़ा-गरख़ुद को मजबूरी में फिर ख़ुद ही तराशा मैं ने
मुझे दाएरों के हुजूम में कहीं भेज देमिरी वुसअतों को दवाम कर कफ़-ए-कूज़ा-गर
अब हमें चाक पे रख या ख़स-ओ-ख़ाशाक समझकूज़ा-गर हम तिरी आवाज़ पे आए हुए हैं
यार को देखते ही मर गए ऐ 'बहर' अफ़्सोसख़ाक मेरी कोई आँखों में क़ज़ा की झोंके
सुकून-ए-इज़्तिराब-ए-ग़म पे चारा-साज़ तो ख़ुश हैंदिल-ए-बेताब की लेकिन क़ज़ा मालूम होती है
वो आहू-ए-रमीदा मिल जाए तीरा-शब गरकुत्ता बनूँ शिकारी उस को भंभोड़ डालूँ
राहत के वास्ते है मुझे आरज़ू-ए-मर्गऐ 'ज़ौक़' गर जो चैन न आया क़ज़ा के बाद
ऐ बुत ये है नमाज़ कि है घात क़त्ल कीनिय्यत अदा की है कि इशारे क़ज़ा के हैं
मैं सिसकता रह गया और मर गए फ़रहाद ओ क़ैसक्या उन्ही दोनों के हिस्से में क़ज़ा थी मैं न था
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